रानी की वाव: गुजरात की अनमोल धरोहर
रानी की वाव, गुजरात का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल है ( best travel place to visit in India)जो पाटन शहर में स्थित है। यह वाव भारतीय स्थापत्यकला की एक अद्वितीय मिसाल है और इसका निर्माण 11वीं सदी में भूशय राजा भीमदेव द्वारा किया गया था। रानी की वाव को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह गुजरात के सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। चलिए, हम इस अद्वितीय धरोहर के पीछे की कहानी को जानते हैं।
निर्माण की कहानी
रानी की वाव का निर्माण गुजरात के सोलंकी वंश के राजा भीमदेव द्वारा 11वीं सदी में किया गया था। यह वाव उनकी पत्नी उदायमता द्वारा निर्मित की गई थी, जिन्होंने इसे उनके पति की स्मृति में बनवाया था। इसे "रानी की वाव" कहा जाता है, जिसका अर्थ है "रानी का बावड़ी"।
रानी की वाव का निर्माण पानी की संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य गुजरात के सूचनात्मक एवं शानदार पुनः उपयोग के लिए पानी की संचयनी क्षमता को बढ़ावा देना था।
वाव की विशेषताएँ
रानी की वाव का निर्माण काव्यकला की महान रूपरूप माना जाता है और यह भारतीय स्थापत्यकला की श्रेणी में आता है। यह वाव कवच के साथ है और एक प्रमुख गणेश द्वार के साथ आरंभ होता है। जब आप इस वाव में प्रवेश करते हैं, तो आपको चार मुख्य मकरणी स्तम्बों का स्वागत करते हैं, जिनमें विष्णु और भैरव के मूर्तियां होती हैं।
वाव के अंदर एक विशाल और प्रेक्षापूर्ण बरछी होती है, जिसमें पानी की संचयनी क्षमता के लिए कई मंजिलें होती हैं। यह बरछी की बगीचे के चारों ओर होती है और यहां पर अनेक प्रकार की सुंदर काव्यकला देखने को मिलती है।
इसकी विशेष बात यह है कि यह वाव बावड़ी के रूप में नहीं है, बल्कि यह एक प्यूरी (Stepwell) है, जिसमें पानी की संचयनी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए विशेष डिज़ाइन किया गया है। प्यूरी एक प्रक्रिया के रूप में काम करती है, जिसमें बरछी के मध्य में विचार किया गया है जो जल स्तर की ओर बढ़ता है और इसे स्वच्छ रखने में मदद करता है।
आर्किटेक्चरल डिज़ाइन
रानी की वाव का आर्किटेक्चरल डिज़ाइन बहुत ही विस्तारणशील है और यहां पर काव्यकला की अनगिनत सौंदर्य को दर्शाता है। इसका मुख्य गणेश द्वार प्रवेश के लिए है, जो सुन्दर और सुंदरता से सजीव किया गया है। यह द्वार एक ऊंचे बरछी के ऊपर स्थित है और इसके साथ ही एक कवच भी है, जो वाव की सुरक्षा के लिए अद्वितीय भाग है।
वाव के अंदर, आपको चार मुख्य मकरणी स्तम्ब मिलते हैं, जिनमें भगवान विष्णु, भगवान भैरव, लक्ष्मी, गणेश, और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थित हैं। इन मकरणी स्तम्बों का डिज़ाइन बहुत ही विस्तारणशील और विविध है, और यह काव्यकला की श्रेणी में एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।